माइग्रेन को हलके में नहीं लें, इस तरह पा सकते हैं निजात

माइग्रेन को हलके में नहीं लें, इस तरह पा सकते हैं निजात

माइग्रेन का दर्द इतना भयंकर होता है कि प्रायः व्यक्ति अपने पर नियंत्रण नहीं रख सकता। दैनिक कामकाज करते समय यदि आपके सिर में बार−बार हल्का सा भी दर्द होता है तो उसके प्रति सतर्क रहें। Do not Take Headache Lightly

आज के समय में हम सभी पर काम का बोझ इतना बढ़ गया है कि कब किस रोग की चपेट में आ जाएं पता ही नहीं चला पाता। दरअसल कोई भी रोग हम पर आक्रमण करता है परन्तु जीवन की व्यस्तताओं के कारण स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता नहीं रहा और हममें से अधिकाश लोग छोटी−मोटी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं। यही छोटी−मोटी समस्याएं आगे चलकर उग्र रूप धारण कर लेती हैं।

सिरदर्द (Headache) एक बहुत ही आम समस्या है। यह सिरदर्द जब केवल आधे सिर में होता है तो इसे आधा सीसी या माइग्रेन कहते हैं। आंख के ऊपर से शुरू होता यह दर्द सिर के ऊपर एक स्थान पर स्थिर हो जाता है अथवा सिर के पीछे तक चला जा सकता है। जी मिचलाना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, चक्कर आदि इसके आम लक्षण हैं।
 
माइग्रेन (Migraine) का दर्द इतना भयंकर होता है कि व्यक्ति अपने पर नियंत्रण नहीं रख सकता। दैनिक कामकाज करते समय यदि आपके सिर में बार−बार हल्का सा भी दर्द होता है तो उसके प्रति सतर्क रहें क्योंकि हो सकता है आप भी माइग्रेन के शिकार बन रहे हों।
 

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डॉक्टरी इलाज के साथ−साथ मालिश भी माइग्रेन से निजात पाने में आपकी मदद कर सकती है। जिस समय माइग्रेन को दौरा पड़े उस समय सिर पर हल्की−हल्की मालिश किया जाना लाभदायक होता है। यदि आप मालिश करवाने की स्थिति में न हों तो कनपटियों को अंगुलियों से दबाएं तथा अगूंठे को मोड़कर माथे पर दबाव दें। इससे आपको अस्थायी तौर पर राहत जरूर मिलेगी।
 
एक अच्छे मालिश करने वाले को यह पता होता है कि खोपड़ी के किस हिस्से को कितना दबाना या सहलाना है। वे लोग जो माइग्रेन से ग्रस्त हैं उन्हें थोड़े−थोड़े समय बाद मालिश करवाते रहना चाहिए यह निश्चित ही उनके लिए लाभदायक होगा।
 
मालिश के समय आसपास का वातावरण बिल्कुल शांत होना चाहिए। वहां टीवी, रेडियो आदि किसी भी प्रकार का शोर नहीं होना चाहिए जिन्हें रोशनी से तकलीफ हो उन्हें बत्तियां भी बंद कर देनी चाहिए यदि रोगी चाहे तो दरवाजे तथा खिड़कियों पर पर्दे भी लगाए जा सकते हैं।
 
अनेक घरेलू उपाय भी ऐसे हैं जो आपको माइग्रेन से राहत दिला सकते हैं। जैसे लौंग या बड़ी इलायची का छिलका पीसकर थोड़ा गर्म करके सिर पर लेप करने से दर्द में राहत मिलती है। शुद्ध शहद में थोड़ा नमक मिलाकर चाटने या पुराने गुड़ से थोड़ा कपूर मिलाकर सूर्योदय के पहले खाने से भी माइग्रेन से राहत मिलती है। सुबह गाय का ताजा घी नाक में चढ़ाने या केसर डालकर सूंघने से आधा सीसी का दर्द दूर हो जाता हैं। केसर को बादाम के तेल में मिलाकर सूंघने से भी दर्द कम हो जाता है। ऐसा दिन में लगभग तीन बार करना चाहिए। रीठे के पानी में पीसकर उसका नस्य देना भी फायदेमंद होता है। नीम की पत्तियां, काली मिर्च और चावल के मिश्रण का भी, नस्य दिया जा सकता है। इसके लिए नीम की पत्तियों को काली मिर्च और चावल के साथ पीस लें। इस पाउडर का नस्य लेने से दर्द जरूर दूर होता है। नौसादर के साथ हल्दी मिलाकर सूंघने या पुरानी रूई का धुंआ सूंघना भी माइग्रेन से राहत दिलाता है। दर्द से तुरंत राहत के लिए नारियल पानी नाक में टपकाएं अथवा जमालगोटा के बीज पीसकर जिस तरफ दर्द हो रहा हो उससे विपरीत दिशा में माथे पर लगाएं। लगभग तीन मिनट बाद इसे कपड़े से पोंछ दें। यदि किसी प्रकार की जलन महसूस हो तो थोड़ा सा देशी घी लगा लें। दर्द उठने पर फूलों का रस विपरीत दिशा वाली नासिका में डालने से भी तुरंत आराम मिलता है। रोजाना सुबह टहलने जाये, नंगे पांव घास पर चले क्योंकि इससे तनाव कम होता है और अगर तनाव कम रहेगा तो हार्मोंस भी बैलेंस में रहेगा जिससे माइग्रेन भी कम हो जाता है।
 

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सुबह होते ही गाय का ताजा दूध नाक से ऊपर खींचने से भी माइग्रेन से निजात मिलती है। यदि रोग बहुत पुराना हो गया हो तो भी परेशानी की कोई बात नहीं। इसके लिए गाजर के पत्तों को उबाल कर ठंडाकर लें और उसका पानी नाक और कान में डालें। ऐसा करने से पुराने से पुराना माइग्रेन भी ठीक हो जाता है।
 
इन उपायों के साथ आपकी दिनचर्या में बदलाव भी माइग्रेन से राहत दिलाता है। जहां तक संभव हो माइग्रेन के रोगी को सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। सुबह जल्दी उठने के लिए जरूरी है कि रात को जल्दी सोया जाए। चाकलेट और शराब के सेवन पर लगाम भी जरूरी है। इस दर्द के भावनात्मक कारण भी हो सकते हैं जहां तक हो सके खुश मिजाज बने रहें। माइग्रेन के मरीजों को खूब सारा तरल पदार्थ यानी सूप, नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, लस्सी आदि पीना चाहिए। वे महिलाएं जो गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं उन्हें, इनका सेवन नियंत्रित तरीके से डॉक्टर की देखरेख में करना चाहिए अन्यथा वे भी माइग्रेन की शिकार हो सकती हैं।