हर घर में लगेगा प्रीपेड Smart Meter, पहले रिचार्ज करें फिर इस्तेमाल करें

हर घर में लगेगा प्रीपेड Smart Meter, पहले रिचार्ज करें फिर इस्तेमाल करें

Prepaid smart meters: मोदी सरकार ने ऐलान किया कि 2025 तक पूरे देश में घर-घर प्रीपेड पावर मीटर लग जाएगा. प्रीपेड पावर मीटर लग जाने के बाद पहले इसे रिचार्ज करवाना होगा, फिर आप बिजली का इस्तेमाल कर पाएंगे
Power Ministry ने पूरे देश में Smart Meter लगाने को लेकर timeline निश्चित कर दी है। इस स्मार्ट मीटर में प्री-पेमेंट (Pre-Payment) की सुविधा होगी जिसका इस्तेमाल सरकारी विभागों, कमर्शियल पर्पस और इंडस्ट्रियल यूनिट के लिए किया जाएगा। पावर मिनिस्ट्री की तरफ से जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसके मुताबिक, एग्रीकल्चर (Agriculture) के अलावा हर जगह प्री पेमेंट मोड में स्मार्ट मीटर काम करेगा।
 

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इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दिसंबर 2023 तक सभी ब्लॉक लेवल सरकारी दफ्तरों में स्मार्ट मीटर लगा दिया जाएगा। यह प्रीपेड मीटर की तरह काम करेगा। इससे डिस्कॉम का घाटा कम होगा। इस नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कमिशन इस डेडलाइन को दो बार, अधिकतम छह महीने के लिए बढ़ा सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें उचित कारण भी बताने होंगे। पूरे देश में मार्च 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लग जाएंगे।
 
50 फीसदी से अर्बन कंज्यूमर तो लगेगा स्मार्ट मीटर
 
इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, जिस भी यूनिट में अर्बन कंज्यूमर 50 फीसदी से ज्यादा होंगे और AT&C नुकसान 15 फीसदी से ज्यादा होगा, वहां 2023 तक स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। अन्य जगहों पर यह 2025 तक लगा दिया जाएगा।

थर्ड पार्टी को बिजली बेचे जाने की छूट का प्रस्ताव
 
इधर बिजली मंत्रालय ने बिजली उत्पादक कंपनियों को तीसरे पक्ष को बिजली बेचने के लिए नियमों में संशोधन करने का भी प्रस्ताव किया है। बिजली मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार इस कदम से लागत कम होगी और उपभोक्ताओं के लिए खुदरा शुल्क में कटौती भी हो सकती है। बिजली मंत्रालय ने गुरुवार को बिजली (देर से भुगतान अधिभार) संशोधन नियम, 2021 के मसौदा को जारी किया। इस मसौदा के संशोधन नियमों को बिजली मंत्रालय की वेबसाइट पर देखा जा सकते है।

रिटेल रेट में आएगी कमी
 
बयान में कहा गया कि बिजली मंत्रालय ने उपभोक्ताओं के लिए खुदरा शुल्क कम करने को लेकर वितरण लाइसेंस प्राप्त कंपनी के बोझ को कम करने की दिशा में एक और कदम उठाने का प्रस्ताव रखा है। मंत्रालय ने कहा कि बिजली उत्पादन कंपनियों को तीसरे पक्ष को बिजली बेचने और उनकी लागत वसूल करने का विकल्प दिया जा रहा है। इस सीमा तक वितरण लाइसेंसप्राप्त कंपनी का नियत लागत भार कम किया जाएगा।

डिस्कॉम पर 90 हजार करोड़ बकाया का दावा
 
इसके अलावा केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कहा है कि बीते वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 90,000 करोड़ रुपए के नुकसान की जो अटकलें लगाई जा रही हैं वह सही नहीं हैं। मंत्रालय ने कहा कि नुकसान का अनुमान ‘जरूरत से ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर’ बताया जा रहा है। हाल में इस तरह की कुछ खबरें आई थीं जिनमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों का नुकसान 90,000 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। मंत्रालय ने कहा कि ए अटकलें रेटिंग एजेंसी ICRA द्वारा बिजली क्षेत्र पर मार्च, 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थीं।
 

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वित्त वर्ष 2019 में 50 हजार करोड़ का नुकसान
 
मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा कि इस रिपोर्ट में 2018-19 में 50,000 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाया गया है। वहीं 2019-20 में नुकसान के बढ़कर 60,000 करोड़ रुपए पर पहुंचने का उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में इसी आधार पर 2020-21 में डिस्कॉम के कुल घाटे को 90,000 करोड़ रुपए बताया गया है। मंत्रालय ने कहा कि नुकसान के बढ़कर उच्चस्तर पर पहुंचने की अटकलों के पीछे एक वजह 2020-21 में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते बिजली की बिक्री में गिरावट को बताया गया है।

30 हजार करोड़ लेंडर्स का बकाया
 
रिपोर्ट में मार्च, 2020 से दिसंबर, 2020 में डिस्कॉम पर लेंडर्स के बकाए में 30,000 करोड़ रुपए की वृद्धि का भी उल्लेख किया गया है। मंत्रालय ने कहा 30,000 करोड़ रुपए की यह वृद्धि नकदी प्रवाह की समस्या है। इसे सीधे डिस्कॉम के भुगतान की जाने वाली राशि में जोड़ लिया गया और 2019- 20 के मुकाबले 2020- 21 में सीधे वितरण कंपनियों के अतिरिक्त नुकसान में दिखा दिया गया।

वित्त वर्ष 2020 में डिस्कॉम का नुकसान 56 हजार करोड़
 
मंत्रालय ने कहा कि ICRA के इसी तरह के त्रुटिपूर्ण अनुमान की वजह से नुकसान के आंकड़े को 90,000 करोड़ रुपए पर पहुंचा दिया गया है, जो काफी बढ़ाकर दिखाया गया लगता है। ICRA ने एक विस्तृत बयान में कहा है कि उसकी मार्च, 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में डिस्कॉम का शुद्ध नुकसान 56,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। हम वित्त वर्ष 2019-20 के नुकसान के अनुमान को बिजली मंत्रालय के वित्त वर्ष के लिए नुकसान के अनुमान से तभी मिलान कर पाएंगे जबकि पीएफसी द्वारा तैयार विस्तृत लेखा उपलब्ध होगा।

डिस्कॉम को मुआवजा देने का सुझाव
 
इसके अलावा ICRA ने कहा कि रिपोर्ट में 2020- 21 के लिए अनुमान लगाया गया है कि डिस्कॉम के लिए राजस्व अंतर बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए हो जाएगा। इसकी वजह कोविड-19 के चलते ऊंचा भुगतान करने वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों की मांग में कमी है। ICRA ने कहा है कि राज्य सरकारों द्वारा अतिरिक्त राजस्व समर्थन के तौर पर कंपनियों को मुआवजा दिया जा सकता है जिससे कि उनका बुक घाटा कम हो और भी कुछ तरीके हैं जिससे घाटे का यह अनुमान कम रह सकता है। एजेंसी ने कहा है, यह नोट किया जाना चाहिए कि रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020- 21 में बुक घाटा 90,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।