जानिए क्‍या होता है Air space और कैसे कोई देश तय करता है अपनी जल और हवाई सीमा

जानिए क्‍या होता है Air space और कैसे कोई देश तय करता है अपनी जल और हवाई सीमा

किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर के आकाशीय हिस्से को एयरस्पेस (airspace) कहा जाता है। इस एयरस्पेस पर जमीन और जल की तरह उस देश का अधिकार होता है। इसलिए वह देश तय करता है कि कौन इस एयरस्पेस से गुजर सकता है और कौन नहीं
सोमवार को कई बुरी खबरों के बाद अफगानिस्तान की सेना के एक प्‍लेन के क्रैश होने की खबर वाकई दिल दुखाने वाली थी। उज्बेकिस्तान में क्रैश हुआ यह एयरक्राफ्ट एक मिलिट्री जेट था जो 16 अगस्त को सीमा पार करते हुए उज्बेकिस्तान में क्रैश हो गया था। उज्बेकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर की तरफ से यह जानकारी दी गई। बताया जा रहा है कि इस एयरक्राफ्ट ने एयरस्‍पेस को पार करने की कोशिश की थी। उज्बेकिस्तान की तरफ से 84 अफगानी सैनिकों को बंदी भी बना लिया गया है। जानिए क्‍या होता है एयरस्‍पेस और क्‍यों किसी देश के लिए महत्‍वपूर्ण होता है।

तीन तरह के होते हैं एयरस्‍पेस
 
किसी भी देश के लिए जब सीमा का निर्धारण होता है तो उसकी सीमाओं के अंदर आने वाली जमीन के साथ पानी और आकाश की भी बात होती है। कोई भी देश जमीनी तट से 12 नॉटिकल मील यानी 22।2 किलोमीटर दूर तक समुद्र पर अपना अधिकार रखता है और इसे जल सीमा या कोस्‍टल बॉर्डर कहते हैं। किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर के आकाशीय हिस्से को एयरस्पेस कहा जाता है।

इस एयरस्पेस पर जमीन और जल की तरह उस देश का अधिकार होता है। इसलिए वह देश तय करता है कि कौन इस एयरस्पेस से गुजर सकता है और कौन नहीं। जमीन से ऊंचाई और इस्‍तेमाल के आधार पर एयरस्पेस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। जैसे नियंत्रित एयरस्पेस, अनियंत्रित एयरस्पेस, विशेष उपयोग के एयरस्पेस और प्रतिबंधित एयरस्पेस।

नियंत्रित और विशेष उपयोग वाला एयरस्‍पेस
 
नियंत्रित एयरस्पेस का मतलब वो हवाई क्षेत्र जिसमें उड़ान भरने वाले विमानों का नियंत्रण एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा किया जाता है। इसे ऊंचाई के हिसाब से सबसे ऊपर एयरस्पेस ए, बी, सी, डी और ई में बांटा जाता है। अनियंत्रित एयरस्पेस में उड़ान भर रहे विमानों को एटीसी निर्देश नहीं देता है। इन विमानों के पायलटों को विजुअल फ्लाइट रूल्स यानी दिखाई देने के हिसाब से विमान को नियंत्रित करना होता है। इसे G एयरस्पेस भी कहते हैं और यह जमीन से कम ऊंचाई पर होता है।

विशेष उपयोग के एयरस्पेस में सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाले एयरस्पेस समेत अलग-अलग विशेष उपयोग का हवाई क्षेत्र शामिल होता है। प्रतिबंधित एयरस्पेस में कोई विमान उड़ान नहीं भर सकता। ऐसा अक्सर ऐतिहासिक इमारतों और सुरक्षा ठिकानों के ऊपर होता है। भारत में ताजमहल के ऊपर उड़ान भरना प्रतिबंधित है।

कैसे चुना जाता है हवाई मार्ग
 
किन्हीं भी दो स्थानों के बीच हवाई मार्ग तय करने के लिए कुछ पैमाने होते हैं। पहला पैमाना दूरी होता है। उड़ान शुरू करने वाले स्थान से उड़ान के गंतव्य स्थान तक सबसे कम हवाई दूरी वाले मार्ग को चुना जाता है। इसके बाद देखा जाता है कि इस मार्ग का मौसम कैसा है, हवा की रफ्तार क्या होगी, आपातकालीन समय में नजदीकी एयरपोर्ट की दूरी कितनी होगी और हवाई क्षेत्र के नीचे पड़ने वाले स्थल या जलीय क्षेत्र में किसी तरह का विवाद तो नहीं है।

इन सभी पैमानों पर खरा उतरने के बाद उड़ान के मार्ग को चुना जाता है। हालांकि हर देश का अपने एयरस्पेस पर विशेषाधिकार होता है। यह उस देश का अधिकार है कि वो किस विमान को अपने एयरस्पेस में दाखिल होने देता है और किस विमान को प्रतिबंधित कर देता है। भारतीय एयरस्पेस पर भारत सरकार और भारतीय वायुसेना का विशेषाधिकार है। किसी भी विमान को भारत के हवाई क्षेत्र में दाखिल होने के लिए इनसे अनुमति लेनी ही होती है।