कब्ज की परेशानी से मुक्ति दिलाएंगे ये योगासन

कब्ज की परेशानी से मुक्ति दिलाएंगे ये योगासन

Lifestyle में बदलाव के कारण हमारे शरीर की पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है। इसी के चलते लोगों में कब्ज़ (constipation) की शिकायत बढ़ती जा रही है। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से आप भी कब्ज की समस्या को कारगर तरीके से दूर कर पाएंगे। | Yoga for constipation
इस आर्टिकल में हम आपको कब्ज (Constipation) की समस्या दूर करने वाले योगासनों (Yoga Sana) के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से आप भी कब्ज की समस्या को कारगर तरीके से दूर कर पाएंगे।

क्या है कब्ज? (What is Constipation?)

कब्ज हमारे पाचन तंत्र में होने वाली एक समस्या है जिससे पीड़ित व्यक्ति को सुबह मल त्याग में समस्या होती है। ज्यादातर मामलों में, ये समस्या बड़ी आंत में आने वाले भोजन से पानी को ज्यादा सोखे जाने पर होती है।
 

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हमारी आंतों में भोजन जितनी धीमी रफ्तार से गुजरेगा, भोजन से उतना ही ज्यादा पानी हमारी बड़ी आंत (Colon) सोखती रहेगी। इसकी वजह से हमारा मल सूखकर कड़ा होता जाता है। जब ऐसा होता है तो शौच के वक्त हमारी भारी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

कब्ज की समस्या को दूर करने वाले योगासन (Yoga Poses For Constipation)

1) भुजंगासन (Bhujangasana / Cobra Pose)
 
इस आसन को करते हुए शरीर फन उठाए हुए सांप की तरह दिखता है। इसलिए इसे भुजंगासन कहते हैं। पीठ दर्द दूर करने, रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने के अलावा यह शरीर की पाचन शक्ति भी दुरुस्त करता है, इस आसन से पेट की चर्बी भी कम होती है। इसके नियमित अभ्यास से​ डिप्रेशन की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है। भुजंगासन के अभ्यास से पूरे शरीर को खोलने और तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
 
 Bhujangasana
 
पेट के बल लेटकर पैरों को सीथा और लंबा फैलाएं। हथेलियों को कंधों के नीचे ज़मीन पर रखें और माथा को जमीन से सटाएं। अब सांस अंदर लें और धीरे-धीरे सिर और कंधे को  ज़मीन से ऊपर उठाइए और पीठ को पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में 20-30 सेकेंड रुकें, फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं।
 
2) वक्रासन /अर्ध मत्स्येंद्र आसन (Ardha Matsyendrāsana)
 
वक्र का अर्थ होता है टेढ़ा। इस आसन में शरीर सीधी और गर्दन टेढ़ी रहती है। इसलिए इसे वक्रासन भी कहते हैं। इस आसन से लीवर, किडनी, पैनक्रियाज प्रभावित होते हैं जिससे शरीर का मेटाबॉलिजम दुरुस्त होता है।
 

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दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठें और दोनों हाथ बगल में रखें, कमर सीधी रखें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर लाएं और बाएं पैर के घुटने की सीध में रखें। इसके बाद दाएं  हाथ को पीछे ले जाएं और रीढ़ की हड्डी के बराबर रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर यह आसन करें। इसके बाद बाएं हाथ को दाहिने पैर के घुटने के ऊपर से क्रॉस करके जमीन के ऊपर रखें। गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाते हुए ज्यादा से ज्यादा पीछे की ओर देखने की कोशिश करें। इसी तरह यह  योगासन दूसरी तरफ से दोहराएं।
 
3) पश्चिमोत्तासन (Paschimottanasana)
 
इस योगासन में शरीर के पश्चिम भाग यानी पीछे के भाग (पीठ) में खिंचाव होता है, इसलिए इसे पश्चिमोत्तासन कहते हैं। रीड की हड्डी या मेरूदंड के सभी विकार जैसे- पीठदर्द, पेट के रोग, लीवररोग, और गुर्दे के रोगों को दूर करता है. इसके अभ्यास से शरीर की चर्बी कम होती है और मधुमेह का रोग भी ठीक होता है. इस आसन से गर्भाशय संबंधी समस्याएं भी दूर  होती हैं।
 
 
चौकड़ी लगाकर बैठें और सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं. अब सांस छोड़ते हुए कमर से पैरों की ओर झुकें, हाथों से तलवों को पकडें। एडिय़ों को आगे बढ़ाएं और शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करते हुए आगे की ओर झुकें। इस मुद्रा में 15 सेकेंड से 30 सेकेंड तक बने रहें।
 
4) पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana / Wind Relieving Pose)
 
पवनमुक्तासन का अभ्यास करते समय पेट पर कोमल और कठोर दबाव एक साथ पड़ता है। इस आसन के अभ्यास से फंसी हुई गैसों को छोड़ने और पेट के निचले हिस्से में दिक्कत को कम करने में मदद मिल सकती है। ये आसन गुदा में मांसपेशियों के तनाव को कम करने में भी मदद करेगा। इस आसन को करने के लिए 5-6 सेकेंड तक सांसों को रोककर रखें।
 
 
योग मैट पर पेट के बल शवासन (Shavasana) में लेट जाएं। बाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे पेट के पास तक ले आएं। सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाएं। अंगुलियों को घुटनों के नीचे रखेंगे। अब बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।सिर जमीन से ऊपर उठाएं और घुटने को नाक से छूने की कोशिश करें।नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में र​हें।धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। अब यही प्रक्रिया दाएं पैर से भी कीजिए। एक योग सेशन में 3 से 5 बार इस मुद्रा को दोहराएं।
 

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5) बालासन (Balasana / Child’s Pose)
बालासन को रेस्टिंग पोज यानी आराम करने वाला आसन माना जाता है। बालासन, शरीर को रिलैक्स करता है। इससे कमर दर्द, गर्दन दर्द, स्ट्रेस और थकान को दूर करने में मदद मिलती है। इस योगासन के नियमित अभ्यास से पेट के भीतरी अंगों को अच्छी मसाज मिलती है। ये पाचन क्रिया को सुधारने वाले प्रमुख योगासनों में से एक है।
 
Balasana yoga pose theinstantstory 
योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं। धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं। गहरी सांस खींचकर आगे की तरफ झुकें। पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें। कमर के पीछे के हिस्से में त्रिकास्थि/सैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें। अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें। इनर थाइज या भीतर जांघों पर स्थिर हो जाएं। सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें। टेलबोन को पेल्विस की तरफ खींचने की कोशिश करें। हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें। दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे। दोनों कंधों को फर्श से छुआने की कोशिश करें। आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए। इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें। धीरे-धीरे फ्रंट टोरसो को खींचते हुए सांस लें। पेल्विस को नीचे झुकाते हुए टेल बोन का उठाएं और सामान्य हो जाएं।