जानिये तीज त्योहारों पर घर को सजाने के 5 कारण

जानिये तीज त्योहारों पर घर को सजाने के 5 कारण

रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराकर सुगंधित वातावरण बनता है जिसके चलते मन के संकट भी मिट जाते हैं और मन प्रसन्न रहता है। वास्तु (Vastu) के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
भारतीय परंपरा(Indian tradition) के अनुसार अक्सर तीज त्योहारों पर घरों को लिपाई पुताई करके सजाया जाता है। अक्सर बड़े पर्व पर यह कार्य अवश्य किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों किया जाता है जानते हैं इसके 5 कारण।

1) माता लक्ष्मी को पसंद है साफ-सफाई
 
माता लक्ष्मी का निवास उसी घर में होता है जहां पर सफाई और शांति होती है। इसीलिए अक्सर घरों का रंग रोगन (Paints) करके उन्हें सजाया जाता है। घर में समृद्धि (Prosperity) लाना है तो यह कार्य जरूर करना चाहिए। लक्ष्मी (Laxmi Mata) को आमंत्रि‍त करने से पहले पुराने और अनुपयोगी सामानों की विदाई आवश्यक है। कबाड़ से मुक्ति पाने का सीधा संबंध आर्थिक प्रगति से है।
 
2) वास्तु दोष मिटता है
 
वर्ष भर में एक या दो बार घर का रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराने से दरारें, टूट-फूट, दरवाजों की आवाज, सीलन के निशान और बदरंगी दीवारें अच्‍छी हो जाती है जिसके चलते घर का वास्तु दोष भी समाप्त हो जाता है। वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसके अलावा, रंगोली के साथ दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। इससे घर की आर्थिक समस्याएं कम होती हैं।
 
3) नकारात्मक ऊर्जा की निकासी हेतु
 
रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराने से घर की नकारात्म ऊर्जा भी बाहार निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मुख्य द्वार पर तोरण, रंगोली, साज-सज्जा के साथ ही दीपक जलाना शुभ ऊर्जाओं को आमंत्रण और उनके स्वागत की तरह होता है। शुभ लक्षणों से युक्त द्वार लक्ष्मी और अन्य देवी देवताओं को आमंत्रित करने में सहायक होता है।
 

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4) मन रहता है प्रसन्न
 
रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराकर सुगंधित वातावरण बनता है जिसके चलते मन के संताप भी मिट जाते हैं और मन प्रसन्न रहता है। पर्व के दौरान घर का वातावरण धूप-अगरबत्ती से सुगंधित करना चाहिए। अन्य दिनों में भी घर में किसी प्रकार की दुर्गंध न रहे। शास्त्र कहते हैं- 'सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।'
 
5) ईशान दोष होता है दूर
 
वास्तु के अनुसार ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा का पूजन कक्ष सर्वोत्तम होता है। त्योहारों (Festivals) पर पूजा भी इसी पूजन कक्ष में या पूर्व-मध्य अथवा उत्तर-मध्य के किसी कक्ष में की जानी चाहिए। घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहा जाता है। यहां भी पूजन कर सकते हैं। पूजा के समय पूर्व या पश्चिममुखी रहें। अन्य दिशाएं वर्जित हैं। ईशान दोष (Ishaan Dosh) से घर मुक्त रहता है तो सभी देवी और देवता प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा आप पर बनी रहती है।