घूमने के शौकीन लोगों के लिए खूबसूरत तोहफा है MP का हाथी महल

घूमने के शौकीन लोगों के लिए खूबसूरत तोहफा है MP का हाथी महल

मध्‍य प्रदेश के मांडू में स्थिति हाथी महल या एलीफैंट पैलेस के बारे में जानें। यहां के सही समय, एंट्री फीस, इतिहास आदि के बारे में पढ़ें। Haathi Mahal In Madhya Pradesh
भारत में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) राज्य के धार जिले में स्थित मांडू (Mandu) शहर का हाथी महल सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। एलीफेंट पैलेस मालवा से संबंधित है एवं यह महल अपनी शानदार इमारत और महल की विशाल संरचना के लिए काफी प्रसिद्ध है। 
इस महल के 100 किमी की दूरी तक कुछ प्राचीन इमारतें हैं जिन्हें रॉक सिटी के नाम से जाना जाता है। विशाल हाथी के जैसे दिखने वाला यह महल एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

कैसे पहुंचे मांडू
 
By Airplane: इसका हवाई अड्डा निश्चित रूप से इंदौर में है जो कि लगभग 99 किमी दूर है। यहां पर इंदौर, दिल्ली, मुंबई, ग्वालियर के साथ-साथ भोपाल जैसे शहरों से फ्लाइटें आती हैं।
 
By Train इसका नजदीकी रेलवे स्‍टेशन रतलाम है। इस रेलवे स्‍टेशन पर सभी प्रमुख शहरों से नियमिन ट्रेनें आती हैं।
 
By Road: सड़क मार्ग की बात करें तो मांडू अन्य शहरों से अच्‍छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह उज्जैन से 154 किमी, धार से लगभग 35 किमी और भोपाल से लगभग 285 किमी दूर है। मांडू बस स्टॉप से हाथी महल सिर्फ 2 किमी दूर है।
 

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हाथी महल की वास्‍तुकला

'हाथी महल' में अनेक विशाल स्तंभ हैं और इसी वजह से इस महल का ये नाम रखा गया है। इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली में बना ये महल समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भव्‍य पत्‍थर से मंदिर की संरचना की है। इस महल को शाही आवास के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसे एक सुंदर मकबरे में बदल दिया गया। इस महल के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में कुछ कब्रें देख सकते हैं। इस्लामी शैली में बनी खूबसूरत मस्जिद को भी आप यहां देख सकते हैं। इस महल का सबसे शानदार हिस्सा हाथी पैलेस के बीच में इसका भव्य गुंबद है। महल के अंदर जो विशालकाय खंभे हैं उन्‍हीं की वजह से विशाल गुंबद पूरी तरह से संतुलित खड़ा है। इस प्रकार वास्तु की दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। हाथी महल अत्‍यंत भव्‍य और इसे बनाने वाले कारीगर भी बहुत उत्‍कृष्‍ट रहे होंगे।

हाथी महल का इतिहास 

मांडू गांव में हाथी महल के लिए आप कोई और नाम सोच सकते हैं? जी हां यहां पर हाथी महल को मांडवगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। 11वीं शताब्दी के बाद से इस जगह को महत्‍व मिलना शुरु हुआ है। इस ऐतिहासिक और संस्‍कृति से समृद्ध स्‍थान को तारंग साम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। यह महल अंततः 16वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था। हालांकि, यह 12वीं शताब्दी से मुगलों और खिलजी शासकों के आक्रामक नियंत्रण के अधीन था और औपनिवेशिक युग तक उनके ही अधीन रहा था। हालांकि, तरांग साम्राज्‍य का अधिक समय तक इस पर शासन नहीं रहा था। 18वीं सदी तक यह महल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका था। अब ये जगह दरिया खान के मकबरे के रूप में स्थापित है। इस महल में ये मकबरा काफी महत्‍वपूर्ण हो गया है एवं इसका लाल रंग दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।