अगर मैं कलम होता तो...

अगर मैं कलम होता तो...

करता मदद हर उस लड़के की को प्यार में पड़ा होता मन ही मन करता मोहब्बत पर बोलने में डरा होता काश मैं एक कलम होता। किसी कागज में उसके इकरार को लिखा
करता मदद हर उस लड़के की को प्यार में पड़ा होता
मन ही मन करता मोहब्बत पर बोलने में डरा होता
काश मैं एक कलम होता।

किसी कागज में उसके इकरार को लिखा होता
पैगाम ए मोहब्बत के इजहार को किया होता
अगर मैं एक कलम होता।

जब उस लड़की को भी उसके इस्क का एहसास होता
तब वह लड़का और खत उसके लिए खास होता
फिर मैं.....
उस हसीना की कोमल उंगलियों में पकड़ा जाता
उसके महबूब को याद करते समय दांतो मे जकड़ा जाता
अगर मैं एक कलम होता।

उसके ख्यालों के लिए तकलीफ से लड़ा होता
खयाल टूटते ही बैग के किसी कोने में पड़ा होता
अगर मैं एक कलम होता।

बयां करता हर उस दर्द को जो जुबां से न किया जाता
लिखता उस मजबूर की दास्तान जो समस्याओं से लड़ा होता
अगर मैं एक कलम होता।