माता लक्ष्मी के कारण मनाया जाता है रक्षा बंधन - Raksha Bandhan

माता लक्ष्मी के कारण मनाया जाता है रक्षा बंधन - Raksha Bandhan

रक्षा बंधन का त्योहार (rakhi festival) हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार अग्रेंजी माह के अनुसार यह पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार के दिन मनाया जाएगा। आओ जानते हैं माता लक्ष्मी के कारण मनाया जाने लगा रक्षा बंधन का त्योहार।
रक्षा बंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार अग्रेंजी माह के अनुसार यह पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार के दिन मनाया जाएगा। आओ जानते हैं  माता लक्ष्मी के कारण मनाया जाने लगा रक्षा बंधन का त्योहार।

1. कई लोग मानते हैं कि वृत्तासुर से युद्ध करने जब इंद्र जा रहे थे तो इंद्र की पत्नी शची ने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा था। तभी से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा, परंतु यह त्योहार भाई बहन का तब बना जब माता लक्ष्मी का इस सूत्र से संबंध जुड़ा।
 
2. स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार जब भगवान वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया।
 
3. भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था परंतु भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बली की सेवा में रहने लगे।
 
4. उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। उन्होंने कहा कि आप राजा बलि को भाई बना लें और उनसे रक्षा का वचन ले लें।
 
5. नारदजी के बताए अनुसार माता लक्ष्मी ने एक साधारण महिला का रूप धरा और रोते हुए पहुंच गई राजा बलि के दरबार में पहुंच गई। राजा बलि ने महिला से रोने का कारण पूछा। माता ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं और मुझे कोई बहन नहीं बनाना चाहता क्या करूं महाराज।
 
6. महिला की व्यथा सुनकर राजा बलि ने उन्हें अपनी धर्म बनना बनाने का प्रस्ताव रखा। तब साधारण महिला रूप माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा और वचन लिया कि बनन की रक्षा करोगे और उससे दक्षिणा भी दोगे।
 
7. राजा बालि ने वचन दे दिया। तब माता लक्ष्मी ने असली रूप में आकर कहा कि यदि आपने मुझे अपनी बहन माना है तो दक्षिणा के रूप में आप मुझे मरे पति को लौटा दें।
 
8. इस प्रकार माता लक्ष्मी ने बलि को अपना भाई बनाया और श्रीहरि को भी वचन से मुक्ति कराकर अपने साथ लें गई। जिस दिन यह घटना घटी थी उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं। इसीलिए रक्षा बंधन पर महाराजा बली की कथा सुनने का प्रचलन है।