जीका वायरस ने भारत में दी दस्तक, लक्षण जानना चाहेंगे

जीका वायरस ने भारत में दी दस्तक, लक्षण जानना चाहेंगे

जीका के लक्षण के संदर्भ में देखें तो बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों में जलन, शरीर पर लाल चकते पड़ना, हाथ पांव में सूजन, खुजली, सिर दर्द इत्यादि है। समस्या यह है कि जीका को पहचानना मुश्किल है क्योंकि इसका कोई विशेष लक्षण नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में खतरनाक जीका वायरस ने दस्तक दी है जिसके कारण जीका वायरस इन दिनों भारत में चर्चा में है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में जीका वायरस के तीन मामलों की पुष्टि कर दी है। ये तीनों वायरस गुजरात के अहमदाबाद के बापूनगर में सामने आए हैं लेकिन राहत की बात यह है कि तीनों रोगी स्वस्थ हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 64 वर्षीय पुरुष, एक बच्चे को जन्म देने वाली 34 वर्षीय महिला और 22 वर्षीय महिला जीका वायरस से ग्रस्त पाये गये हैं।

जीका वायरस एंडीज इज्पिटी नामक मच्छर से फैलने वाला वायरस है। एंडीज इज्पिटी वही मच्छर है जो डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर जैसी घातक बीमारी को फैलाता है। जीका बुखार शुरू में केवल मामूली बुखार था लेकिन समय के साथ घातक होता जा रहा है। जीका वायरस का सर्वप्रथम अस्तित्व युगांडा के जीका जंगलों के बंदरों में 1947 में पाया गया था। इसी के पश्चात इसका नाम जीका वायरस पड़ा। 1954 में पहली बार इस वायरस को इंसान के अंदर देखा गया। जीका वायरस ने अफ्रीका के कई क्षेत्रों में महामारी का विकराल रूप धारण कर लिया। वर्तमान में स्थिति यह है कि यह वायरस केवल अफ्रीका महाद्वीप में ही नहीं बल्कि विश्व के एशिया, लैटिन अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया इत्यादि में तेजी से फैल रहा है। जैसे माइक्रोनेशिया के द्वीप "याप" में 2007 में इस वायरस ने काफी तेजी से पैर पसारे, 2013 में फ्रांस, 2014 में चिली तथा पूर्वी आस्ट्रेलिया तथा न्यू कैलिडोनिया और 2015 में ब्राजील इत्यादि जगह पैर पसारे।
 
प्रश्न उठता है कि जीका वायरस का नवजात शिशुओं पर क्या असर पड़ता है? जीका वायरस के हमले के फलस्वरूप नवजात बच्चे माइक्रोसेफली नामक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। दरअसल माइक्रोसेफली एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है क्योंकि उसके दिमाग का पूर्ण विकास नहीं होता है। दरअसल जीका वायरस से संक्रमित मादा एडीज द्वारा गर्भवती महिला के खून के माध्यम से यह वायरस गर्भस्थ शिशु की न्यूरल ट्यूब को संक्रमित करता है। और न्यूरल ट्यूब में मौजूद रेटिनोइस एसिड एक प्रकार का मैटाबोलिक विटामिन ए है, जो मस्तिष्क के आरंभिक विकास हेतु जिम्मेदार है।
 
जीका के लक्षण के संदर्भ में देखें तो बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों में जलन, शरीर पर लाल चकते पड़ना, हाथ पांव में सूजन, खुजली, सिर दर्द इत्यादि है। समस्या यह है कि जीका को पहचानना मुश्किल है क्योंकि इसका कोई विशेष लक्षण नहीं है। उदाहरण के अनुसार, चिकनगुनिया बुखार में भी जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल चकते पड़ते हैं और जीका बुखार में भी।
 
ब्राजील ने नवंबर 2015 में जीका के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर राष्ट्रीय आपात की घोषणा की थी। 2016 में ओलम्पिक खेलों के दौरान जीका वायरस चरम पर था। इस वायरस के तहलका मचाने के कारण ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ भी उस समय हिल गईं और राष्ट्रपति के कार्यालय ने वहाँ गर्भवती महिलाओं को न जाने की सलाह दी। रियो ओलंपिक शुरू होने के छह महीने पहले से ही चेतावनी जारी कर दी गई थी। इस वायरस के खौफ से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ब्राजील में अंतरराष्ट्रीय आपात की घोषणा की थी। लेकिन नवंबर 2016 में इसे हटा लिया गया। जीका वायरस इस कदर चरम पर था कि वहाँ की सरकार ने दो साल तक गर्भ धारण न करने की सलाह दी थी क्योंकि यह वायरस दिमागी तौर पर बच्चों को विकलांग बनाता है। ब्राजील ने तो जीका वायरस के घटते मामलों के मद्देनजर पूर्व में इसे लेकर आपात स्थिति को समाप्त कर दिया है। बीबीसी के अनुसार देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार जनवरी से अप्रैल के मध्य पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले जीका के मामले में 95% कमी आई है। ब्राजील ने तो 2016 में जीका के 91,387 मामलों की पुष्टि की। 7584 गर्भवती महिलाओं में जीका का प्रभाव देखा गया। ब्राजील में कुछ मौतों की भी पुष्टि की गई।
 
ऐसा नहीं है कि जीका वायरस केवल ब्राजील तक सीमित रहा अपितु अमेरिका में इसके पांच मामलें सामने आए। अमेरिका के फ्लोरिडा में तीन और इलिनोड्स में दो मामले सामने आए। वियतनाम में अप्रैल 2016 में जीका वायरस के दो मामले सामने आए। फरवरी 2016 में डब्ल्यूएचओ ने जीका वायरस के संक्रमण को लेकर वैश्विक आपात काल घोषित किया।
 
अब तो भारत में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जीका वायरस की पुष्टि की गई है, जिसके पश्चात अन्य राज्यों हेतु अलर्ट जारी किया गया है। अंतरराज्यीय वाहनों और एयरपोर्ट पर विशेष स्कैनिंग की जा रही है। यदि कोई संभावित मरीज पाया जाता है तो सीधे एयरपोर्ट से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय मच्छर जनित रोग बचाव विभाग को सूचित करने के लिए कहा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 2017 जनवरी में जीका के मामले को देखा गया था जिसके पश्चात विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले सप्ताह इसकी पुष्टि की है। चूंकि जीका वायरस की पुष्टि अहमदाबाद से हुई है इसलिए अहमदाबाद की ओर जाने वाली ट्रेनों और फ्लाइटों पर विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग से मच्छर से होने वाली बीमारियों का आंकड़ा देने के लिए कहा गया है। ज्ञात हो कि जीका बुखार मादा एडीज के कारण होता है और डेंगू और चिकनगुनिया का कारण भी मादा एडीज ही है, इसलिए डेंगू और चिकनगुनिया के संभावित मरीजों की भी सघन स्क्रीनिंग हेतु कहा गया है।
 
जीका वायरस से बचाव आवश्यक है क्योंकि अभी तक विश्व में इससे बचाव हेतु टीके का विकास नहीं किया जा सका है, हालांकि प्रयास जारी हैं। तब तक इससे मुक्ति पाने हेतु फिलहाल इससे सावधानी बरतना ही एकमात्र उपाय है। जैसे घर के आसपास पानी का जमाव नहीं होने देना, शरीर को कपड़ों से पूरी तरह से ढंकना, बेड नेट का प्रयोग, सुबह शाम मच्छर मारने वाले हिट का प्रयोग, अपने आसपास साफ सफाई अवश्य रखें यदि बुखार हो तो टेस्ट अवश्य कराएं।