जानें कैसे बनता है सेंधा नमक और क्यों व्रत-उपवास के लिए माना जाता है शुद्ध | namak kase banta hai

जानें कैसे बनता है सेंधा नमक और क्यों व्रत-उपवास के लिए माना जाता है शुद्ध | namak kase banta hai

Namak kase banta hai: क्या आप जानते हैं कि भारत नहीं इस देश में सबसे ज्यादा सेंधा नमक (sendha namak) होता है और वहां से ही सारी दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाता है? जानें सेंधा नमक (salt) कैसे बनता है?

जहां भी बात व्रत और उपवास की आती है वहां लोग अधिकतर सेंधा नमक खाना पसंद करते हैं। सेंधा नमक यानि हिमालयन पिंक साल्ट को ही सबसे शुद्ध नमक माना गया है, लेकिन इसके पीछे का कारण कोई नहीं जानता कि आखिर इसे ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है और आयुर्वेद में इसका क्या महत्व है। सेंधा नमक की खासियत नॉर्मल टेबल साल्ट की तुलना में कुछ अलग है और इसलिए इसे खास माना गया है। 

 
आज हम बात करने जा रहे हैं सेंधा नमक की और उससे जुड़े फैक्ट्स की। सेंधा नमक जो लगभग हर किराना स्टोर में मिल जाता है वो कैसे बनता है और किस तरह से वो हमारी प्लेट तक पहुंचता है ये बहुत ही रोचक बात है। तो चलिए जानते हैं सेंधा नमक के बारे में।
 
कैसे बनता है सेंधा नमक?
 
सेंधा नमक जिसे सबसे शुद्ध नमक माना जाता है वो असल में किसी मशीन से नहीं बनाया जाता और न ही समुद्री नमक की तरह पानी से निकाला जाता है बल्कि ये एक पहाड़ का हिस्सा होता है जिसे अन्य खनिज और धातु की तरह माइनिंग प्रोसेस से निकाला जाता है। सबसे बड़ी हैरानी आपको ये जानकर होगी कि हिमालयन पिंक सॉल्ट के नाम से प्रसिद्ध सेंधा नमक को हिमालय पर्वत से नहीं बल्कि पाकिस्तान के झेलम प्रांत से निकाला जाता है।
 
जी हां, एक गूगल सर्च ही आपको बता देगी कि सेंधा नमक पाकिस्तान की खेवरा साल्ट माइन (Khewra Salt Mine) से आता है। वैसे तो भारत में भी हिमाचल में सेंधा नमक का माइनिंग प्रोसेस शुरू होना था, लेकिन वो अभी तक हो नहीं पाया है। 2019 में पाकिस्तान में जो नमक को लेकर विवाद हुआ था वो इसी बात पर आधारित था कि सेंधा नमक भारत में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाता है। 

यकीन नहीं हो रहा मेरी बात पर? तो खुद रिसर्च करके देख लीजिए। दरअसल, पाकिस्तान की खेवरा माइन्स से ही साल का 800 मिलियन टन से अधिक सेंधा नमक निकाला जाता है जो तरह-तरह के इस्तेमाल में लाया जाता है। ये सिर्फ खाने के ही नहीं बल्कि कमर्शियल इस्तेमाल के लिए भी एक्सपोर्ट होता है।

इसे इसका गुलाबी रंग कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे मिनरल्स के कारण मिलता है जो उस प्रांत में पाए जाते हैं। 

सबसे पहले अलग-अलग तरीकों से रॉक सॉल्ट के पत्थरों को तोड़ा जाता है। 
इस काम के लिए एक वर्कर को लगभग 8 घंटे माइन के अंदर रहना होता है। 
इसके बाद इसे रंग के आधार पर विभाजित किया जाता है।
इसके आमतौर पर तीन रंग होते हैं सफेद, लाल और गुलाबी। सफेद का मतलब सोडियम क्लोराइड ज्यादा है, गुलाबी का मतलब मैग्नीशियम और लाल का मतलब आयरन ज्यादा है।
इसके बाद ये नमक के बड़े-बड़े पत्थर रिफाइनरी और मिलों में ले जाए जाते हैं।
वहां इन पत्थरों को ग्राइंड किया जाता है और छोटे-छोटे पार्टिकल्स और नमक का शेप दिया जाता है। 
इसके बाद पैकेट में बंद कर इस नमक को दुनिया भर में एक्सपोर्ट किया जाता है।