अप्रैल-जून तिमाही में 20.1% बढ़ी देश की जीडीपी, पिछले साल की निगेटिव ग्रोथ का कमाल

अप्रैल-जून तिमाही में 20.1% बढ़ी देश की जीडीपी, पिछले साल की निगेटिव ग्रोथ का कमाल

अप्रैल-जून 2020 के दौरान देश की जीडीपी में 24.4% की गिरावट आई थी. 20.1% की ताजा ग्रोथ के बावजूद जीडीपी अब भी अप्रैल-जून 2019 के मुकाबले कम है, राहत की बात यह है कि अर्थव्यवस्था अब रिकवरी के रास्ते पर आगे बढ़ रही है
April से June 2021 के दौरान यानी मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1% रही है। यानी पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले देश की जीडीपी में 20 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला है। लेकिन इस उछाल की मुख्य वजह है पिछले साल की इसी अवधि के दौरान दर्ज की गई भारी गिरावट। अप्रैल-जून 2021 के यह आंकड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुमान से भी कम रहे हैं। रिजर्व बैंक ने इस दौरान जीडीपी में 21.4 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान जाहिर किया था। पहली तिमाही की जीडीपी विकास दर के ताजा सरकारी आंकड़े मंगलवार को जारी किए गए हैं।

गौरतलब है कि अप्रैल-जून 2020 के दौरान देश की जीडीपी में 24.4 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। उस तिमाही के मुकाबले 20.1 फीसदी की बढ़ोतरी का मतलब यह है कि अप्रैल-जून 2021 के दौरान देश की जीडीपी अप्रैल-जून 2019 के मुकाबले अब भी पीछे चल रही है। जनवरी-मार्च 2021 की तिमाही के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 1.6 फीसदी रही थी।

जीडीपी के मूल आंकड़ों की तुलना करने से ये बात और भी साफ हो जाएगी। दरअसल, अप्रैल से जून 2021 के दौरान देश की जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रही, जो अप्रैल-जून 2020 के 26.95 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 20.1 फीसदी अधिक है। लेकिन दो साल पहले यानी अप्रैल-जून 2019 में देश की जीडीपी 35।66 लाख करोड़ रुपये थी। इससे तुलना करें तो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी दो साल पहले के मुकाबले अब भी करीब 10 फीसदी कम है। इससे यह भी पता चलता है कि India को कोविड के कारण आई आर्थिक मंदी से बाहर निकलने में अभी और वक्त लगने वाला है।

अप्रैल से जून 2021 के दौरान देश की जीडीपी 32।38 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि दो साल पहले यानी अप्रैल से जून 2019 के दौरान यह 35.66 लाख करोड़ रुपये थी। जाहिर है कि 20.1 फीसदी की ग्रोथ के बावजूद हम अब भी 2019 के मुकाबले पीछे चल रहे हैं। इससे यह भी पता चलता है कि भारत को कोविड के कारण आई आर्थिक मंदी से बाहर निकलने में अभी और वक्त लगने वाला है। लेकिन राहत की बात यही है कि अर्थव्यवस्था अब रिकवरी के रास्ते पर आगे बढ़ने लगी है।

देश की आर्थिक विकास को रफ्तार देने में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले प्राइवेट फाइनल कंजप्शन एक्सपेंडिचर (PFCE) यानी आम लोगों द्वारा उपभोग पर खर्च की जाने वाली रकम अप्रैल-जून 2021 के दौरान करीब 17.84 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल के 14.95 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है। लेकिन दो साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले यह रकम अब भी काफी कम है। अप्रैल-जून 2019 के दौरान देश में PFCE के तहत आम लोगों द्वारा खर्च की गई रकम 20.24 लाख करोड़ रुपये रही थी। इससे जाहिर होता है कि देश में आम उपभोक्ताओं की कंज्यूमर डिमांड अब भी दो साल पहले के स्तर को नहीं छू पाई है।

पिछले साल March के अंतिम सप्ताह में मोदी सरकार ने कोविड-19 महामारी की वजह से देश भर में लॉकडाउन लागू कर दिया था। जिसके कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां काफी हद तक रुक गई थीं। इसी वजह से अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली थी। 31 मार्च 2021 को खत्म पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान भी देश की जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।